कोलकाता के गोलपार्क क्षेत्र के एक दंपति साइबर ठगी के शिकार हो गए, जिसमें उन्हें ₹17 लाख की बड़ी राशि गंवानी पड़ी। इस हाई-टेक धोखाधड़ी को "डिजिटल अरेस्ट" स्कीम कहा जा रहा
कोलकाता के गोलपार्क क्षेत्र के एक दंपति साइबर ठगी के शिकार हो गए, जिसमें उन्हें ₹17 लाख की बड़ी राशि गंवानी पड़ी। इस हाई-टेक धोखाधड़ी को "डिजिटल अरेस्ट" स्कीम कहा जा रहा है। सेवानिवृत्त कर्मचारी सुभाषिश रॉय और उनकी पत्नी चंद्रा रॉय को ठगों ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और दिल्ली पुलिस के अधिकारी बनकर फर्जी आपराधिक जांच के नाम पर लूटा।
ठगी की शुरुआत तब हुई जब सुभाषिश को एक फोन आया, जिसमें कॉलर ने खुद को दिल्ली स्थित भारतीय स्टेट बैंक (SBI) मुख्यालय का अधिकारी बताया। उसने कहा कि उनके नाम पर एक क्रेडिट कार्ड जारी किया गया है और उससे ₹1.6 लाख खर्च किए गए हैं। सुभाषिश ने इस लेन-देन से अनभिज्ञता जताई। इसके बाद कॉलर ने उन्हें बताया कि यह मामला दिल्ली पुलिस की जांच में है और फिर उन्हें वीडियो कॉल पर "अधिकारियों" से जोड़ा गया, जो दिल्ली पुलिस की वर्दी में नजर आ रहे थे।
वीडियो कॉल के दौरान, फर्जी "अधिकारियों" ने दावा किया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ₹2.5 करोड़ के वित्तीय घोटाले में उनकी संलिप्तता के कारण उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। उन्होंने सुभाषिश से आधार कार्ड का फोटो भेजने को कहा, जिसे डर और तनाव के कारण उन्होंने साझा कर दिया।
इसके तुरंत बाद, सुभाषिश को एक फर्जी ED नोटिस मिला, जिसमें उन्हें एक बड़े वित्तीय घोटाले में संलिप्त बताया गया था। नोटिस में चेतावनी दी गई थी कि यदि वह आगे की "जांच" के लिए अपने बैंक विवरण साझा नहीं करेंगे, तो उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। गिरफ्तारी के डर से, दंपति ने अपने बैंक खाते की जानकारी साझा कर दी, जिसके बाद ठगों ने उन्हें कई किस्तों में ₹17 लाख स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया।
कुछ दिनों तक पैसे ट्रांसफर करने के बाद, सुभाषिश और चंद्रा को एहसास हुआ कि वे ठगी के शिकार हो चुके हैं। उन्होंने तुरंत गरियाहाट पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई। मामला कोलकाता पुलिस की साइबर सेल को सौंप दिया गया, जिसने तेजी से कार्रवाई करते हुए ठगों से ₹3.5 लाख बरामद किए। हालांकि, शेष ₹13.5 लाख पहले ही निकाले जा चुके थे। पुलिस अधिकारियों ने आम जनता को इस तरह की ठगी से सतर्क रहने की चेतावनी दी है और सलाह दी है कि किसी भी संदिग्ध कॉल या संदेश की सत्यता की पुष्टि आधिकारिक स्रोतों से करें, खासकर जब यह बैंकिंग या कानूनी मामलों से जुड़ा हो।